Kalyug Ka Ho Avatari – Shyam Bhajan

Bhajan Theme: Gyaras Chanan Ki Aayi

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कलयुग क हो अवत री,
लीलै घोडै की सव री,
दुमनय मां डांक ब जै श्म म क ,
सेवक दीव न थ रै न म क ।।
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केशररय पगाी मसर पै, न रांगी िैंटो जी,
ह थ ां मां मोरछाी ले, सांकट नै मेटो जी,
पिरांगो ब गो सोहै, भगत ां रै मन नै मोहै,
सेवक दीव न थ रै न म क ।।
ओ ब ब दुमनय मां डांक ब जै …..
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क मतज़क ग्य रस नै मेळो, ल गै है भ री जी,
दुल्हन सी ल गै सजके, नगरी य थ री जी,
थ रो जनममदन आवै, सेवमकय न िै-ग वै,
सेवक दीव न थ रै न म क ।।
ओ ब ब दुमनय मां डांक ब जै …..
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जद-जद ि गमणयो आवै, सेवक हर् ज़वै जी,
ले-ले मनश न थ रै, दर पै तो आवै जी,
रांग-गुल ल उा वै, ‘रोमी’ भी िांग बज वै,
सेवक दीव न थ रै न म क ।।
ओ ब ब दुमनय मां डांक ब जै …..
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Author: श्री हरमहेन्द्र प ल मसांह ‘रोमी’

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