Deshbhakti Quotes on India

कोई ‘हस्ती’ कोई ‘मस्ती’
कोई ‘चाह’ पे मरता है..
कोई ‘नफरत’ कोई ‘मोहब्बत’
कोई ‘लगाव’ पे मरता है..
ये “देंश” है उन ‘दिवानों’ का
यहां हर बन्दा
अपने   “हिंदुस्तान”  पे मरता है..


मैं भारतवर्ष का हरदम अमिट सम्मान करता हूँ
यहाँ की चांदनी मिट्टी का ही गुणगान करता हूँ,
मुझे चिंता नहीं है स्वर्ग जाकर मोक्ष पाने की,
तिरंगा हो कफ़न मेरा, बस यही अरमान रखता हूँ

Damn AutoCorrect – Marriage Fun

बेटी की विदाई के समय पिता ने अपने दामाद से कहा..
“बेटा आपका Whatsapp पे मैसेज मिला था, आपकी demand तो बड़ी अजीब सी थी, लेकिन हमने पूरी कर दी है।
ये लीजिए अपनी पसंद के Four Underwear in Red Color.

दामाद (मन ही मन में बड़बड़ाता हुआ) – साला ऐसी की तेसी इस auto spell-correction की,
मैंने तो Ford Endeavour in Red Color माँगी थी।

Shree Shyam Kavita

साँवरिया ……..
डरते हैं तुम्हे देख कर … रुक न जाये दिल की धड़कने
हम दिल पे हाथ रख कर फिर तुमको निहारते हैं ……
हो इतने प्यारे तुम कि मन भरता नहीं तुम्हे देखकर ……
इक पल में कई बार … तेरी नजर उतारते हैं………………………….

तोरण का सच

हिन्दू समाज में शादी में तोरण मारने की एक आवश्यक रस्म है।
जो सदियों से चली आ रही है। लेकिन अधिकतर लोग नहीं जानते कि यह रस्म कैसे शुरू हुई।

दंत कथानुसार कहा जाता है कि एक तोरण नामक राक्षस था जो शादी के समय दुल्हन के घर के द्वार पर तोते का रूप धारण कर बैठ जाता था तथा दूल्हा जब द्वार पर आता तो उसके शरीर में प्रवेश कर दुल्हन से स्वयं शादी रचाकर उसे परेशान करता था।

एक बार एक राजकुमार जो विद्वान एवं बुद्धिमान था शादी करने जब दुल्हन के घर में प्रवेश कर रहा था अचानक उसकी नजर उस राक्षसी तोते पर पड़ी और उसने तुरंत तलवार से उसे मार गिराया व शादी संपन्न की। बताया जाता है कि तब से ही तोरण मारने की परंपरा शुरू हुई अब इस रस्म में दुल्हन के घर के दरवाजे पर लकड़ी का तोरण लगाया जाता है, जिस पर एक तोता (राक्षस का प्रतीक) होता है।
बगल में दोनों तरफ छोटे तोते होते हैं। दूल्हा शादी के समय तलवार से उस लकड़ी के बने राक्षस रूपी तोते को मारने की रस्म पूर्ण करता है।
गांवों में तोरण का निर्माण खाती करता है, लेकिन आजकल बाजार में बने बनाए सुंदर तोरण मिलते हैं, जिन पर गणेशजी व स्वास्तिक जैसे धार्मिक चिह्न अंकित होते हैं और दूल्हा उन पर तलवार से वार कर तोरण (राक्षस) मारने की रस्म पूर्ण करता है।

यानी दूल्हा राक्षस की जगह गणेशजी या धार्मिक चिन्हों पर वार करता है जो कि भारतीय परंपरा और धार्मिक दृष्टि से उचित नहीं है।
एक तरफ हम शादी में गणेश पूजन कर उनको रिद्धि-सिद्धि सहित शादी में पधारने का निमंत्रण देते हैंऔर दूसरी तरफ तलवार से वार कर उनका अपमान करते हैं, यह उचित नहीं है।
अत: तोरण की रस्म पर ध्यान रखकर परंपरागत राक्षसी रूपी तोरण ही लाकर रस्म निभाएं ।